Description
इस पुस्तक में अनेक विधाओं में सार्थक लेखन करने वाले रामदरश मिश्र से विभिन्न लेखकों द्वारा लिए गए साक्षात्कार संकलित हैं। कुछ साक्षात्कार अधिक लंबे और संश्लिष्ट हैं, जिनमें साक्षात्कारकर्ताओं ने मिश्र जी के बहुआयामी साहित्य तथा जीवन संबंधी विचारों की यात्रा की है। पहले साक्षात्कार में प्रकाश मनु ने तो इस प्रकार से मिश्र जी की पूरी जीवन-यात्रा और साहित्य-यात्रा खंगाल ली है। इसी तरह अन्य बड़े साक्षात्कार के प्रश्न भी मिश्र जी के साहित्य के विविध आयामों और उनके परिवेशगत यथार्थ तथा अनुभवों से टकराते हैं और खुलने के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं। कुछ साक्षात्कारों में सर्वथा व्यक्तिगत प्रश्न हैं, जो मिश्र जी के व्यक्तित्व के विविध पहलुओं, रुचि-अरुचि तथा अंतरंग क्षणों को पकड़ने की कोशिश करते हैं। इनका अनौपचारिक रूप बड़ा ही प्रिय है। कुछ साक्षात्कार में सांप्रदायिकता, नारी-विमर्श, दलित-विमर्श, धर्म, दर्शन, राजनीति, संस्कृति, फिल्म आदि अनेक विषयों पर मिश्र जी के विचार जानने की कोशिश की गई है। साहित्य में व्याप्त समस्याओं पर तो प्रायः हर साक्षात्कार ने संवाद किया है। मिश्र जी बहुत सहज भाव से, ईमानदारी के साथ हर प्रश्न से रुबरु हुए हैं और बहुत सच्चाई के के साथ अपने को खुलने दिया है। अतः इन साक्षात्कारों में मिश्र जी की विविध विधाओं वाली साहित्य-यात्रा तो खुलती ही है, साहित्य का समकालीन परिदृश्य भी खुलता है और इनमें आद्योपंत एक सर्जक और विचारक के संवेदनात्मक ज्ञान की छवि व्याप्त है।
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