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Aalochana ka Naya Paath

425.00 325.00

ISBN: 978-93-80146-15-7
Edition: 2014
Pages: 282
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Gopeshwar Singh

Category:
आलोचना का नया पाठ-नई पीढ़ी के गंभीर और दृष्टिसंपन्न आलोचक गोपेश्वर सिंह की नई आलोचना पुस्तक है। इसके जरिए लेखक हिंदी आलोचना के पुराने पाठ को न सिर्फ नए पाठ में बदलने का आलोचनात्मक संघर्ष करता है, बल्कि उसकी नई भूमिका की जमीन भी तैयार करता है। पठनीयता के गुणों से युक्त साहित्य में पाठक की दिलचस्पी पैदा करने वाली यह आलोचना पुस्तक हिंदी आलोचना में आते नए बदलाव का सुंदर और श्रेष्ठ उदाहरण है।
 
गोपेश्वर सिंह की रुचि एकांगी नहीं। उनकी आलोचनात्मक पहुँच समग्रतावादी है। मध्य काल से लेकर आधुनिक काल तक, कथा-साहित्य से लेकर कविता तक तथा साहित्य से लेकर समाज तक सभी इनकी रुचि के क्षेत्रा हैं। ऐसे समय में जब आलोचना में गतिरोध का शोर मचाया जा रहा है और जब आलोचक किसी खास विधा या काल तक सीमित होते जा रहे हैं, तब गोपेश्वर सिंह जैसे बहुआयामी सोच वाले नए और गंभीर आलोचक की उपस्थिति आश्वस्त करती है कि आलोचना में गतिरोध का प्रश्न बेमानी है।
 
हिंदी आलोचना को प्रगतिवाद और आधुनिकतावाद के शीतयुद्धकालीन दुराग्रही प्रत्ययों की छाया से बाहर निकालना गोपेश्वर सिंह के आलोचनात्मक लेखन की मूल प्रतिज्ञा है। इसलिए यथार्थवाद या रूपवाद जैसे पदों और पक्षों से वे आलोचना को मुक्त करते हैं और उसे नए विमर्शों की रोशनी में ले जाते हैं, लेकिन विमर्शों की अतिरेकी परिणति से उसे बचाते भी हैं।
 
‘आलोचना का नया पाठ’–शीर्षक यह पुस्तक सैद्धांतिकियों के आतंक से मुक्त व्यावहारिक आलोचना का ऐसा पाठ है, जो–भाषा, दृष्टि और शैली–हर तरह से नया है।
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