Description
कुंवर नारायण की पहले संस्मरण की भेंटवार्ताओं और टिप्पणियों के साथ इस नए संस्करण में कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण टिप्पणियाँ और बहसें भी जोड़ दी गई हैं। नए संस्करण में उनके नवीनतम कविता-संग्रह ‘हाशिये का गवाह’ की पहली कविता ‘प्यार की भाषाएं’ भी दी जा रही है। यहाँ यह भी बताना जरूरी है कि कुंवर नारायण की पिछले एक दशक की महत्त्वपूर्ण भेंटवार्ताओं की पुस्तक प्रकाशित की जा रही है।
-विनोद भारद्वाज
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