लोकयात्री देवेन्द्र सत्यार्थी हिंदी के दिग्गज लेखकों और असाधारण लोक-अध्येताओं में से हैं, जिनके हर शब्द के पीछे उनकी घुमक्कड़ी और खानाबदोशी के विलक्षण अनुभवों के साथ-साथ इस महादेश का हर रंग, हर कवि नजदीक से देखने का आत्मविश्वास भी बोल रहा होता था। उनके विलक्षण साक्षात्कारों से गुजरें, तो सबसे पहले जिस बात पर हमारा ध्यान जाता है, वह है ‘शब्दों को बरतने की अद्भुत कला’। शब्द वही हैं-खूब चिर-परिचित, सुने-सुनाए, पर जब वे सत्यार्थी जी के वाक्यों में ढलते हैं तो वे एक ऐसी भाषा का आस्वाद देते हैं, जो अब तक हमारे लिए अपरिचित और अनसुनी रही आई है। इसलिए कि यहां सत्यार्थी जी के शब्द और घमुक्कड़ व्यक्तित्व एकदम एकमेक हो चुके हैं और औपचारिकता की गंध दूर-दूर तक नहीं है। यों भी सत्यार्थी जी ‘बातों के जादूगर’ हैं। अभी-अभी लगता है, वे बहुत गंभीरता से अपनी बात कह रहे हैं, पर अगले ही पल लग सकता है, जैसे वे किसी खुशदिल, बूढ़े सांताक्लाज़ की तरह खिलखिलाते हुए आपको खिला रहे हों। हालांकि ऊपर से हलकी-फुलकी लगती इन बातों के जरिए ही सत्यार्थी जी कैसे मन की गहनतम अंतर्भूमियों तक पहुंचते हैं और वहां जीवन के सच्चे सुख-दुःख के कैसे सुर बजते सुनाई पड़ते हैं, इसे सत्यार्थी जी से घंटों पूरे तरन्नुम में बात करने के बाद, अजीत कौर, बलराम मेनरा सरीखे अद्भुत साक्षात्कारकर्ताओं ने भी बड़ी गहराई से महसूस किया है।
सत्यार्थी जी के निकटस्थ रहे कवि-कथाकार प्रकाश मनु द्वारा संपादित साक्षात्कारों की इस किताब से गुजरते हुए, उम्मीद है, पाठक इस भव्य लोकयात्री के व्यक्तित्व और जीवन के विविध रंगों, पहलुओं के साथ-साथ लगभग पूरी बीसवीं शताब्दी के साहित्य, संस्कृति और कलाओं के ‘इतिहास’ से गुजरने का-सा विरल रस-आनंद पा सकेंगे।
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मेरे साक्षात्कार : देवेन्द्र सत्यार्थी / Mere Saakshaatkar : Devendra Satyarthi
₹200.00 ₹170.00
ISBN : 978-81-7016-228-5
Edition: 2009
Pages: 192
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Devendra Satyarthi
Category: Interviews
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