Description
कवि ने कहा: लीलाधर जगूड़ी
अपनी कविताओं का चुनना आज़ादी है और आज़ादी का पहला लक्षण है चुनाव की स्वतंत्रता जो कि लिखने की स्वतंत्रता से कतई कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। कोई अपने लिए क्या और क्यों चुनता है, इसके सामाजिक और व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं लेकिन अपने में से अपने को चुनने के लिए ज्ञानात्मक समीक्षा दृष्टि और संयम आवश्यक है जिसका अभाव इस मौके पर भी मुझे काफी परेशान किए रहा। क्या अपनी ये चुनी हुई कविताएँ ही मेरा सम्यक् अभीष्ट हैं? शायद हाँ, शायद नहीं। क्योंकि इस चयन को इस चयन में से अभी पाठकों द्वारा भी चुना जाना है। चुने हुए में से चुनना और बढ़िया विचारपरक हो सकेगा। निर्दोष चयन तो काफी कठिन काम है फिर भी चुनने के स्वार्जित अधिकार से पैदा हुई व्याख्या का अपना स्थान है। वह स्थान तभी दिख सकता है और समझ में आ सकता है जब विवेचन दोष रहित दूषण सहित हो। इन कविताओं में कितना पैनापन है, कितनी प्रखरता है यह तभी समझा जा सकेगा जब सुकोमल और सुंदर पक्षों को उन पात्रों की घटनाओं के माध्यम से चिद्दित किया जा सके। यह अनुभव की महिमा और अनुभूति के विन्यास को खुद अपने अस्तित्व के अनुरूप कारणों से चुनवा सकेगा।
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