Description
वज्र से भी कठोर अडिग संकल्प-सम्पन्न राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कुसुम कोमल हृदय से उमड़ पड़ने वाली कविताएँ गिरि-हृदय से फूट निकलने वाली निर्झरियों के सदृश एक ओर जहाँ अपने दुर्दान्त आवेग से किसी भी अवगाहनकर्ता को बहा ले जाने में समर्थ हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपनी निर्मलता, शीतलता और प्राणवत्ता से जीवन के दुर्गम पथ के राहियों की प्यास और थकान को हरकर नई प्रेरणा की संजीवनी प्रदान करने की क्षमता से भी सम्पन्न हैं। इनका सहज स्वर तो देशभक्तिपूर्ण शौर्य का ही है; किन्तु कभी-कभी नव सर्जना की वेदना से ओतप्रोत करुणा की रागिनी को भी ये ध्वनित करती हैं।
-विष्णुकान्त शास्त्री