Description
संघर्षरत ‘सु-राज’ के गांगि ‘का हों, या अन्याय की आग में धधकता ‘अंधेरा और’ का परसिया या ‘कांछा’ उपन्यासिका का नायक सुदूर नेपाल का अनाथ श्रमिक शिशु कांछा, अपने अस्तित्व के लिए जूझते ये पात्र, मात्र पात्र ही नहीं, तिल-तिल मरकर कहीं अपने समय के ‘काल-पात्र’ भी है।
साहित्य में हिमांशु जोशी ने नए-नए प्रयोग किए हैं, उनका एक उदाहरण है यह कृति, जो अतिशय द्रावक ही नहीं, दाहक भी है।