‘पत्र-लेखन’ कला मे विदग्ध कवि-लोचक, कथाकार रमेशचंद्र शाह जैसा हो तो कहना ही क्या। शाह जी के पास एक ताकतवर व्यंजक भाषा है जिसकी अर्थ-ध्वनियां दूर तक गूंज छोड़ती रहती हैं। शाह जी जैसे अन्य विधाओं में अनेक रूपात्मक हैं-वैसे ही पत्रों में रंगों-छवियों, विदग्ध वक्रोक्तियों में। उसी वेदना, उल्लास, हुड़क तथा चाहत के साथ। पत्र भी अकथ कहानी प्रेम की कहते हैं-उनका मौन भी मुखर होकर बोलता है।
-संपादक
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Patra-Samvad Ageya Aur Rameshchandra Shah
₹240.00 ₹204.00
ISBN: 978-93-82114-98-7
Edition: 2013
Pages:136
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Ed. Krishna Dutt Paliwal
Category: Interviews
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