Description
गुरु नानक साहिब की सबसे विलक्षण श्रेष्ठता थी कि उन्होंने मानव समाज का सामान्य अंग बनकर मानवता को अभिप्रेरित और दिग्दर्शित किया।उनकी सहजता और सरलता इतनी प्रभावी थी कि समाज का परिदृश्य बदल गया। गुरु नानक साहिब ने परमात्मा और सृष्टि के हर उसतत्त्व को प्रकट किया जिसे सदियों से रहस्य के आवरण में ओझल किया गया था।इससे धर्म और परमात्मा पर विशेषाधिकार स्थापित हो गए थे। गुरु नानक साहिब ने लोगों को परमात्मा और धर्म से सीधे जोड़ा। ज्ञान के सूर्य की किरणें निर्बाध रूप से हर घर, हर आंगन में राह बनाने लगीं। जीवन को एक नया आधार मिला। धर्म ही नहीं समाज की कुरीतियां और अंधविश्वास भीढहने लगे और नई चेतना ने जन्म लिया।गुरु नानक साहिब की निर्मल और स्पष्ट वैचारिक दृष्टि से हर वर्ग, हर धर्म, हर समाज में उनकी स्वीकार्यता स्थापित हुई। रंक से राजा तक, निरक्षर से प्रकांड विद्वान्तक, अधर्मी से धर्म शास्त्री तक सभी उनके अनुयायी बन गए। वे उन सभी के गुरु, प्रेरक, मार्गदर्शक थे जो समाज में धर्म की प्रतिष्ठा और मानवीय मूल्यों का सत्कार चाहते थे। गुरु नानक साहिब मानव समाज के थे और हैं।