कमजोर तन : मजबूत मन
जिस प्रकार विकलांगता एक प्राचीन समस्या है उसी प्रकार यह तथ्य भी अत्यंत प्राचीन है कि अनेक विकलांग व्यक्तियों ने अपनी विकलांगता को परास्त करके समाज को अपने असाधारण व्यक्तित्व और अदभुत कृतित्व से प्रभावित किया । प्रचीन ग्रंथों वेदों, बाइबिल, कुरान आदि में विकलांगों की समस्याओं और उनकी सामाजिक दशा का वर्णन है, साथ ही दीर्घतमा, अष्टावक्र जैसे ऋषियों का भी वर्णन है ।
इन विकलांग विभूतियों के व्यक्तित्व और कृतित्व का अध्ययन करते समय अनेक रोचक तथ्य मेरे सामने आए । इन तथ्यों को जब क्रमबद्ध किया गया तो अनेक नए परिणाम सामने आए जो विकलांगों के लिए ही नहीं वरन् आम जनता के लिए भी अत्यंत प्रेरक साबित हुए।
ये परिणाम लेखों के रूप से कई राष्ट्रीय दैनिकों और पत्रिकाओं में पुस्तक प्रकाशित होने से पहले ही प्रकाशित होते रहे ।
अब इन लेखों का संग्रह पुस्तक रूप से आपके सामने प्रस्तुत है जो यह दर्शाती है कि इन कमजोर तन वाले व्यक्तियों में एक मजबूत मन भी था । यह मन ही उनकी सफलता का कारण था।
यदि आम विकलांग व्यक्ति भी अपने मन को दृढ़ कर ले तो वह बड़े से बड़ा काम कर सकता है, यहीं इस पुस्तक का उद्देश्य है ।
-विनोद कुमार मिश्र