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Malviya Ji Ke Sapnon Ka Bharat

395.00 335.75

ISBN: 978-81-88118-30-4
Edition: 2012
Pages: 240
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Ed. Ishwar Prasad Verma

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Description

मैं मनुष्यता का पुजारी हूँ। मनुष्यत्व के आगे मैं जात-पांत नहीं मानता। कानपुर में जो दंगा हुआ, उसके लिए हिंदू या मुसलमान इनमें से एक ही जाति जवाबदेह नहीं है। जवाबदेही दोनों जातियों पर समान हैं मेरा आपसे आग्रहपर्वूक कहना है कि ऐसी प्रतिज्ञा कीजिए, अब भविष्य में अपने भाइयों से ऐसा युद्ध नहीं करेंगे, वृद्ध, बालक और स्त्रियों पर हाथ नहीं छोडेंगे। मंदिर अथवा मस्जिद नष्ट करने से धर्म की श्रेष्ठता नहीं बढ़ती। ऐसे दुष्कर्मों से परमेश्वर प्रसन्न नहीं होता। आज आप लोगों ने आपस में लड़कर जो अत्याचार किए हें, उसका जवाब आपको ईश्वर के सामने देना होगा। हिंदू और मुसलमान इन दोनों में अब तब प्रेम-भाव नहीं उत्पन्न होगा, तब तक किसी का भी कलयाण नहीं होगा। एक-दूसरे के अपराध भूल जाइए और एक-दूसरे को क्षमा कीजिए। एक-दूसरे के प्रति सद्भाव और विश्वास बढ़ाइए। गरीबों की सेवा कीजिए, उनका प्रेम से आलिंगन कीजिए और अपने कृत्यों का पश्चात्ताप कीजिए।
-पं. मदनमोहन मालवीय

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