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Rassakashi

300.00 255.00

ISBN: 978-93-80048-67-3
Edition: 2017
Pages: 152
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Nisha Bhargava

Category:

निशा भार्गव हिन्दी की उल्लेखनीय हास्य व्यंग्य कवयित्रियों में अपना मुकाम रखती हैं। कुछ ही कवयित्रियां है जो मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर हास्य व्यंग्य की सृष्टि करती हैं। उन्होंने काव्य मंचों के माध्यम से और दूरदर्शन, आकाशवाणी में अपने काव्य पाठ से असंख्य श्रोताओं को आनंदित, उल्लसित किया है। इधर उनका नया काव्य संकलन ‘रस्साकशी’ के शीर्षक से प्रकाशित हो रहा है जिसमें उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज और गहन गम्भीर शैली में आज के जीवन में व्याप्त विसंगतियों के द्वंद्व को रेखांकित किया है। जीवन में न्याय और अन्याय के बीच, सत्य और असत्य के बीच सकारात्मकता और नकारात्मकता के बीच जो द्वंद्व चल रहा है उसके बीच रस्साकशी जैसा माहौल बना हुआ है । रस्साकशी के इस माहौल में उत्पन्न तनाव से बचते हुए निशा भार्गव ने सरस, सारगर्भित और जनप्रिय रचनाएं लिखने का उद्यम जिया है उनके इस प्रयास से सदैव सकारात्मक प्रवृतियों की विजय के संकेत मिलते हैं। कविता का उद्देश्य भी लगभग यही है। तमाम निराशाओं-दुराशाओं के बीच आशा की किरण खोज लेना कवि कर्म का सबसे बडा उद्देश्य माना गया है । निशा भार्गव अपने इस प्रयत्न में पूर्णत: सफल हैं। उनमें एक संवेदनशील मन को सकारात्मक भाव से पेश करने का जज्बा हर कोण से दिखाई देता है।

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