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Nayi Kahani Ki Sanrachana

600.00 510.00

ISBN: 978-81-89424-46-6
Edition: 2013
Pages: 320
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Hemlata

Category:
नई कहानी की संरचना
इतिहास के वे क्षण अति महत्त्वपूर्ण होते है जो संकट और परिवर्तनों के क्षण होते है । ऐसे समय में ही पुरानी व्यवस्था को पीछे ढकेलकर नई व्यवस्था आगे आती है और परंपरागत अनेक रूढ तथा गतिहीन तत्त्व पीछे छुट जाते हैं और उनके स्थान पर नए यथार्थ से उदूभूत नए तत्त्व परंपरा का जीवंत अंश वन जाते हैं । इनसे मानव संबंधों के लिए नई भूमिका बनती है, नए मानव का जन्म होता है । इस संधिकाल में वहीं साहित्यकार सफल होता है जो तत्कालीन जीवन यथार्थ को अपने साहित्य के माध्यम से व्यक्त करता है ।
साहित्य में निहित ‘समय सत्य’ को पहचानना और उदघाटित करना आलोचक का धर्म है । आलोचक यदि कृति मेँ निहित जीवन सत्य की उपेक्षा करके अपने दृष्टिकोण के संदर्भ में कृति का विश्लेषण करता है तो कृति के साथ न्याय नहीं कर पाता ।
स्वातंत्र्योत्तर युग से जिस समय यथार्थ का दर्शन तत्कालीन कथा साहित्य में हुआ, वह रचनाकार ने स्वयं  होता था और यहीं कारण है कि उसकी अभिव्यक्ति भी उससे प्रभावित हुई । तत्कालीन साहित्यकार की अनुभूति और अभिव्यक्ति की भिन्नता का विश्लेषण भी प्राचीन मानद्रडों के आधार पर संभव नहीं था, विशेष रूप से कथा साहित्य का, जिसे ‘नई कहानी’ नाम से जाना गया ।
‘नई कहानी’ के माध्यम से व्यक्त भावबोध ने उसकी अभिव्यक्ति शैली को प्रभावित किया । भाव और शैली ने सम्मानित रूप से समय यथार्थ का चित्रण किया । यहीं कारण है कि कहानी विश्लेषण के परंपरागत मानदंड इन कहानियों के विश्लेषण के लिए सक्षम नहीं थे । ‘नई कहानी’ के विश्लेषण के भिन्न मानदंडों का आश्रय लिया गया जो उन कहानियों में से ही निसृत हुए थे । इस पुस्तक में उन्हें मानदंडों को खोज करने का प्यास है जो उन कहानियों में से ही निसृत हुए हैं और ‘नई कहानी की संरचना’ से जिनका विशेष महत्त्व रहा है ।
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