Description
‘नयी कहानी’ की प्रसिद्ध त्रयी के प्रमुख पुरोधा रूप में उभरे कमलेश्वर निश्चय ही प्रेमचंदोत्तर समय के सर्वाधिक महत्वपूर्ण और अत्यंत लोकप्रिय कहानीकार हैं। ‘नयी कहानी’ के समय से लेकर नयी शती के प्रथम दशक तक अपने को उन्होंने निरंतर सृजनशील रखा, एक से एक बढ़कर उम्दा और सशक्त कहानियां रचकर। ‘राजा निरबंसिया’, ‘खोई हुई दिशाएं’, ‘जार्ज पंचम की नाम’, ‘मांस का दरिया’ से लेकर ‘मानसरोवर के हंस’, ‘इतने अच्छे दिन’, ‘तुम्हारा शरीर मुझे पाप क लिए पुकारता है’, ‘सफेद सड़क’ जैसी कितनी ही कालजयी और विश्वस्तरीय श्रेण्य कहानियां उनके खाते में हैं जिन्होंने हिंदी कहानी का चेहरा पूरी तरह बदलकर रख दिया। सहास विश्वास नहीं होता कि कहानी के ललित कोमल स्वरूप में उन्होंने बौद्धिकता का ऐसा निर्मोक प्रदान कर दिया कि वह चिंतन-स्तर पर पाठक को इतना उद्वेलित कर सकने की क्षमता से युक्त हो सकी है। प्रख्यात कथा-समीक्षक डाॅ. पुष्पपाल सिंह ने अपनी प्रखर और पूर्ण निष्पक्ष दृष्टि से कमलेश्वर के समग्र कहानी-साहित्य का यह अत्यंत सुचिंतित अध्ययन प्रस्तुत किया है, यदि वे कमलेश्वर की कहानियों के श्रेष्ठ पर रीझकर उनका पूर्ण निस्संग और उन्मुकत भाव से विश्लेषण करते हैं तो उनके श्याम पक्ष और न्यूनताओं का भी रेखांकन इसी बेबाकी से करते हैं।