शिवमूर्ति पाठकों और आलोचकों के प्रिय रचनाकार हैं। कम लिखकर भी रचना-संसार में अपनी उपस्थिति का निरंतर अहसास कराने वाले लेखकों में उनकी गणना की जाती है। उनके कृतित्व में कथारस और व्यक्तित्व में बतरस एक उल्लेखनीय विशेषता है। ‘मेरे साक्षात्कार’ में शिवमूर्ति से अनेक व्यक्तियों ने जो बातचीत की है, उसे पढ़ते हुए अनुभव होता है कि इस महत्त्वपूर्ण कथाकार का अपना जीवन भी किसी औपन्यासिक वृत्तांत से कम नहीं है।
ये साक्षात्कार शिवमूर्ति के साहित्य को समझने के सूत्र प्रदान करते हैं। स्त्री-विमर्श के प्रचलन में आने से बहुत पहले रचा गया शिवमूर्ति का साहित्य स्त्रियों को केंद्रीयता प्रदान करते हुए उनके संघर्षों को व्यक्त करता है। ‘तिरिया चरित्तर’ जैसी कालजयी कहानी इस तथ्य का प्रमाण है।
हर लेखक का एक पक्ष होता है और एक विपक्ष भी। शिवमूर्ति स्वाभाविक रूप से जनपक्षधर हैं। सामाजिक समरसता को नष्ट करने वाले सांप्रदायिक विद्वेष के विरुद्ध उनका सक्रिय प्रतिवाद ‘त्रिशूल’ जैसे चर्चित उपन्यास में व्यक्त हुआ है। कुछ बुद्धिजीवियों ने इस उपन्यास की तीखी आलोचना भी की, किंतु शिवमूर्ति की प्रतिबद्धता अडिग रही। साक्षात्कारों में इसकी चर्चा है।
भूमंडलीकरण के बाद स्थानीयता का प्रश्न प्रमुख हो गया है। शिवमूर्ति को गांवों पर लिखने वाले कथाकारों में अग्रणी माना जाता है। गांव और किसान के साथ उनका अनिवार्य रिश्ता अनेक उत्तरों में यहां व्याख्यायित हुआ है। वस्तुतः इस समय को समझने में ये साक्षात्कार हमारी सहायता करते हैं। लेखकीय व्यक्तित्व की सहजता के चलते जवाब औपचारिक नीरसता से मुक्त हैं। बतरस, विमर्श व विचार से युक्त इन साक्षात्कारों से गुज़रना एक प्रीतिकर अनुभव है। -सुशील सिद्धार्थ
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मेरे साक्षात्कार: नासिरा शर्मा / Mere Saakshaatkar : Nasera Sharma
₹350.00 ₹270.00
ISBN : 978-93-85054-16-7
Edition: 2018
Pages: 200
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Nasera Sharma
Category: Interviews
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