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Hindi Vartani Ki Samasyayen Evam Mankikaran

500.00 410.00

ISBN: 978-81-937598-4-4
Edition: 2018
Pages: 184
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Dr. Bhola Nath Tiwari

Category:

Description

वर्तनी या ‘स्पेलिंग’ भाषा का एक बुनियादी तत्त्व है। मौखिक भाषा जब से लिखित रूप में अस्तित्वमान हुई तब से वर्तनी की यात्रा भी शुरू हुई। जाने कितनी लिपियों और जाने कितने भाषा प्रकारों से संशोधित होते हुए आज हिंदी भाषा ने वर्तनी का एक मानक स्वरूप प्राप्त कर लिया है। ‘हिंदी वर्तनी की समस्याएँ एवं मानकीकरण’ पुस्तक में लेखकद्वय डॉ. भोलानाथ तिवारी और डॉ. किरण बाला के लेख वर्तनी के विभिन्न आयामों पर विधिवत् व तर्कसंगत प्रकाश डालते हैं। लेखकों के अनुसार, ‘वर्तनी का सबसे बड़ा आधार तो उच्चारण (आधुनिक परंपरागत या ध्वनि परिवर्तन से विकसित) है। उसके बाद शब्द रचना का स्थान है। शेष निर्णय अशुद्धि या प्रभाव आदि कुछ ही वर्तनियों के आधार बन पाते हैं। गत कई दशकों से राजभाषा के प्रचार-प्रसार के कारण भारत सरकार एवं इसके अधीन गठित संस्थानों ने वर्तनी के मानकीकरण पर निरंतर कार्य किया है। इसके परिणामस्वरूप हिंदी की वर्तनी में कई परिवर्तन किए गए। इन सभी परिवर्तनों व सुझावों को भी इस पुस्तक में शामिल करके इसे अद्यतन किया गया है।’
प्रस्तुत पुस्तक ‘भारतीय आर्यभाषाओं में वर्तनी का विकास’, ‘हिंदी वर्तनी: चिंतन की परंपरा’, ‘हिंदी वर्तनी की समस्याएँ’, ‘हिंदी के संख्यावाचक शब्दों की वर्तनी’, ‘हिंदी लेखन में होने वाली वर्तनी की अशुद्धियाँ’ आदि आठ अध्यायों में विभक्त है। अशुद्ध लिखे जाने वाले और एकाधिक वर्तनी वाले शब्दों की सूची एवं हिंदी वर्तनी के मानकीकरण एवं सरलीकरण जैसे नवीनतम मुद्दों को समाहित करके पुस्तक को अधिक रोचक व उपयोगी बनाया गया है। प्रत्येक लिखने-पढ़ने वाले सामान्य व्यक्ति से लेकर भाषाप्रेमियों, विद्यार्थियों व अनुवादकों के लिए एक जरूरी पुस्तक।
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