Description
लेखक ने शुरू से अंत तक पाठ्यक्रम में शामिल होन की क्षमता रखने वाले गंभीर कथ्य के लिए सरल और चुटीली शैली अपनाई है जो अंग्रेजी साहित्य के रोचक इतिहासकार जाॅन ड्रिंकवाटर की याद दिलाती है।
पुस्तक लिखने के अपने उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए लेखक कुमार कौस्तुभ ने ‘अपनी बात’ में लिखा है-‘मेरा मकसद यहां खबरिया माध्यम के तौर पर टीवी की आलोचना करना नहीं, बल्कि उसकी बारीकियों को सामने लाना और उन पहलुओं को रेखांकित करना है, जिनमें अच्छाई है और जिनसे टेलीविजन पत्रकारिता और अच्छी बन सकती है।’
इसमें संदेह नहीं कि लेखक अपनी रोचक, मनोरंजक, आत्मानुभवों पर आधारित कहीं-कहीं व्यंग्यपरक और चुटीली शैली से अपने उद्देश्य में सफल हुए हैं। पुस्तक में टीवी खबर और उसके परिवेश की समग्रता दिशा-निर्देशों के साथ खुलकर उजागर हुई है।
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