Description
साहित्य को पढ़ने, परखने, विश्लेषित करने की प्रविधियों पर भांति-भांति से विचार होता रहा है। साहित्यिक कृति को कई बार साहित्येतर कसौटियों पर भी कसा जाता है। कोशिश यही होती है कि किस तरह शब्दों में निहित अर्थ-संसार को प्राप्त और उद्घाटित किया जा सके। इस संदर्भ में ‘शैलीविज्ञान’ का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। भाषाविज्ञान के विविध पक्षों पर ऐतिहासिक लेखन करने वाले डॉ. भोलानाथ तिवारी की पुस्तक व्यावहारिक शैलीविज्ञान पढ़ते हुए इस तथ्य का प्रामाणिक अनुभव किया जा सकता है।
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