शरद जोशी हिंदी व्यंग्य के सार्वकालिक महान् रचनाकार हैं। विसंगति के ड्डोत, विस्तार और परिणाम की जैसी अचूक परख उनको है, वह उनके समकालीन व्यंग्यकारों तक में दुर्लभ है। हास्य और व्यंग्य का सहजात संबंध उनकी रचनाओं में मौजूद है। बतरस और ललित निबंध के साथ कहावतों व लोकप्रसंगों से विकसित व्यंग्य को शरद जोशी ने हिंदी गद्य का अनिवार्य अंग बनाया। उनके लेखन में विषय-वैविध्य किसी को भी चकित करता है। वे विचार और राजनीति को लेकर बेहद स्पष्ट, पक्षधर, प्रखर और सतर्क लेखक हैं। यही कारण है कि पत्र-पत्रिकाओं में उनके स्तंभों ने एक इतिहास रचा। साहित्य के सैद्धातिक व व्यावहारिक अंतर्विरोधें पर उन्होंने अद्वितीय लिखा है। वे जीवन के अपार व अबूझ से छोटे-छोटे पल लेकर रचनाएं बुनते हैं। उनका एक वाक्य है—‘प्रेम की पीड़ा गहरी होती है, पर गरीबी की पीड़ा उससे भी गहरी होती है।’ यही विरल यथार्थबोध है जो परिहास, वक्रोक्ति, आनंद आदि से आगे बढ़कर रचना को किसी दूसरे ही स्तर पर ले जाता है। वे महत्त्वपूर्ण संदर्भों के व्यंग्य लेखक हैं। साहित्य, पत्रकारिता, टी. वी. और सिनेमा में उनके लेखन ने कीर्तिमान बनाए हैं। ‘मासूमियत में निहित मर्म और मुस्कान’ शरद जोशी के लेखन का मूल मंत्रा है। व्यंग्य समय में शरद जोशी के चयनित व्यंग्य उनके विस्तृत व्यंग्य लेखन से कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
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व्यंग्य समय: शरद जोशी / Vyangya Samay : Sharad Joshi (PB)
₹325.00 ₹260.00
ISBN: 978-81-934394-4-9
Edition: 2020
Pages: 200
Language: Hindi
Format: Paperback
Author : Sharad Joshi
Category: Paperback
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