सन 1947 में हिंदुओं द्वारा अपनी मातृभूमि और अपने देश के विभाजन की अभूतपूर्व ऐतिहासिक कीमत चुकाने के बावजूद वर्तमान समय में भारतीय राष्ट्र की आधारभूत और मूल हिंदू संस्कृति पर एक बार फिर देश के अंदर से ही चौतरफा राजनीतिक-सांस्कृतिक- सांप्रदायिक हमले किए जा रहे हैं| इस कारण आज का औसत हिंदू नागरिक और सामान्य हिंदू समाज अपने ही देश में अंतः-आक्रांत है और भयग्रस्त जीवन जी रहा है| इसलिए अपनी ही धरती पर बौद्धिक और बहुधा सांप्रदायिक हमले झेल रहे आज के अंतः-आक्रांत भारतीय मानस को साहस और संबल देने के लिए, उसमें सुरक्षा का भाव पैदा करने और उसे सही राजनीतिक दिशा दिखाने और उसमें सामूहिक रूप से एक बार फिर प्रखर राष्ट्रवाद को प्रज्ज्वलित करने के लिए शक्तिशाली और सांस्कृतिक- राष्ट्रवादी नारों की बड़ी आवश्यकता है| देश के द्वारा अपनी सांस्कृतिक अस्मिता को पुनर्स्थापित करने के लिए और स्वराष्ट्र संरक्षण के लिए एक बार फिर कटिबद्ध होने के लिए शक्तिशाली सांस्कृतिक-राजनीतिक चुनावी नारे ही समाज में एक सामूहिक चिंगारी का काम कर सकते हैं| वर्तमान समय की इसी ज्वलंत आवश्यकता की पूर्ति के लिए इस पुस्तक में कुछ ऐसे ही नव-सृजित सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं चुनावी नारे प्रस्तुत किए गए हैं| विगत से सीख लेकर आगत में दृष्टिभेद करने वाली इस भविष्यबेधी पुस्तक में देश के अंदर से ही उभरती हुई विभाजनकारी चुनौतियों, भारत को पुनः विखंडित करने के राजनीतिक-सामरिक षड्यंत्रों, और भारत का सांस्कृतिक विरूपांतरण करके आने वाले समय में हमारे राष्ट्रीय अस्तित्व को ही हमेशा के लिए समाप्त कर देने के षड्यंत्रों का निडर विच्छेदन और गहन विश्लेषण किया गया है| अपनी अस्मिता और अस्तित्व को बचाने के लिए 21वीं सदी में अपना अंतिम सांस्कृतिक युद्ध लड़ रहे आज के भारत को यह युद्ध जीतने का साहस देने के लिए “चुनावी नारे” राष्ट्रवादी हिंदुत्व का बहुत बुलंद स्वर उठाती है|
दुनिया के एकमात्र हिंदू राष्ट्र भारत को हिंदू राज्य बनाने के लिए और आगामी लोकसभा के अत्यंत महत्त्वपूर्ण चुनावों में देशभक्त हिंदुत्ववादी शक्तियों को प्रचंड बहुमत से विजयी बनाने के लिए प्रखर राष्ट्रवाद का स्वर बुलंद करने वाली यह ज्वलंत राष्ट्रवादी पुस्तक आज हर भारतीय के लिए जरूरी है|
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Chunavi Naare / चुनावी नारे
₹300.00 ₹250.00
ISBN: 978-93-93486-42-4
Edition: 2023
Pages: 168
Language: Hindi
Format: Paperback
Author : Amitabh Srivastava
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