बुक्स हिंदी 

विश्व के महान् शिक्षाविद् / Vishwa Ke Mahaan Shikshavid

595.00

ISBN: 978-93-83234-72-1
Edition: 2023
Pages: 216
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : M.A. Sameer

Category:

जीवन में सफलता व अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था और अपेक्षा–इन तीन शक्तियों को भलीभांति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित कर लेना चाहिए।

यह विचार एक ऐसे शिक्षक का है, जिसके एक शिष्य ने इन विचारों को न केवल आयुध बनाकर अपने जीवनयुद्ध में प्रयोग किया, अपितु इनसे जीवनयुद्ध का विजेता बनकर संसार के सर्वश्रेष्ठ आयुध्-निर्माताओं में से एक बना। जी हां, यह विचार है इयादुराई सोलोमन नाम के दक्षिण भारतीय शिक्षक और उनका यह शिष्य भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति डाॅ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का, जिन्होंने वैज्ञानिकी में स्वयं को समर्पित करके ‘मिसाइलमैन’ की उपाधि प्राप्त की।

पं. जवाहरलाल नेहरू के बाद डाॅ. अब्दुल कलाम भारत के ऐसे पहले राजनेता थे, जिन्हें बच्चों का स्नेह प्राप्त था और ‘काका कलाम’ कहकर संबोधित किया जाता था। बच्चों को देश का भविष्य मानने वाले डाॅ. अब्दुल कलाम अकसर समय निकालकर छात्रों के बीच जाते और बच्चों के प्रश्नों के उत्तर बड़ी सहजता से देते और उन्हें भविष्य में कुछ करने के लिए प्रेरित करते। जीवन के मूल्य, आदर्श और सफलता के मंत्र बड़ी रोचक वाणी में बताते। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा ‘विंग्स आॅफ फायर’ में उन्होंने भारतीय युवाओं को अपने विचारों और दृष्टिकोण से मार्ग दिखाया है। उनकी एक-एक बात प्रेरणादायी है। उनका समूचा जीवन ही प्रेरणादायी है।

आज तकनीक के क्षेत्र में भारतीय युवाओं की बढ़ती संख्या का कारण डाॅ. अब्दुल कलाम की वह प्रेरणा ही है, जिसने देश को आधुनिक विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम किया है। डाॅ. कलाम भारतीय तकनीकी विकास को विज्ञान के हर क्षेत्र में लाने का समर्थन करते थे। उनका कहना था कि साॅफ्टवेयर का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए, जिससे अधिक संख्या में लोग इसकी उपयोगिता का लाभ उठा सकें। इसी से सूचना तकनीक का विकास तीव्र गति से हो सकेगा। डाॅ. कलाम का राष्ट्रपति काल भारत के स्वर्णिम काल में से एक है। बिना किसी राजनीतिक विवाद के उन्होंने यूरोपीय देशों और पड़ोसी देशों से सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे और देश की विकास गति को थमने नहीं दिया। 25 जुलाई, 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ और वे फिर से वैज्ञानिकी एवं तकनीक के क्षेत्र में आ गए।

ऐसा कहा जाता है कि जब डाॅ. कलाम राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के रूप में प्रवेश कर रहे थे तो उनके एक हाथ में एक थैला था, जो पांच वर्ष बाद जब वे वहां से कार्यमुक्त हुए तो उनके साथ ही था। वे शाकाहारी थे और अनुशासित जीवन व्यतीत करते थे। समय का उनकी दृष्टि में बड़ा महत्त्व था और इसके सदुपयोग के लिए वे व्यवस्थित चर्या का पालन करते थे।

–इसी पुस्तक से

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