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Sant Meeranbaai Aur Unki Padaawali

395.00 335.00

ISBN: 978-81-88121-75-5
Edition: 2023
Pages: 148
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Dr. Baldev Vanshi

Category:

मीरांबाई की गति अपने मूल की ओर है। बीज-भाव की ओर है। भक्ति, निष्ठा, अभिव्यक्त सभी स्तरों पर मीरां ने अपने अस्तित्व को, मूल को अर्जित किया हैं आत्मिक, परम आत्मिक उत्स (कृष्ण) से जुड़कर जीवन को उत्सव बनाने में वह धन्य हुई। अस्तित्व की गति, लय, छंद को उसने निर्बंध के मंच पर गाया हैं जीया है।
मीरां उफनती आवेगी बरसाती नदी की भांति वर्जनाओं की चट्टानें तोड़ती, राह बनाती अपने गंतव्य की ओर बे-रोक बढ़ती चली गई। वर्जनाओं के टूटने की झंकार से मीरां की कविता अपना श्रृंगार करती है। मीरां हर स्तर पर लगातार वर्जनाओं को क्रम-क्रम तोड़ती चली गई है।

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