Description
डाॅ. महीप सिंह के बारे में बहुश्रुत है कि वे अगर किसी बात को कहना उचित मानते हैं तो उसे कहे बिना नहीं रह सकते। इसे विश्वसनीयता का मानदंड माजा जा सकता है।
यह भी माना जाता है कि साक्षात्कार तभी सफल होता है जब साक्षात्कर्ता सामने वाले व्यक्ति के वे पक्ष भी उद्घाटित कर पाए, जो सामान्यतः अव्यक्त रह जाते हैं। यह इस विधा का मानदंड है।
इन्हीं दोनों आयामों की अंतक्र्रिया से सृजित होता है ऐसा साक्षात्कार जो बाह्य तथ्यों और आंतरिक व्यक्तित्व की समन्वित झांकी प्रस्तुत करता है।
डाॅ. महीप सिंह के साथ समय-समय पर किए गए साक्षात्कारों का यह संग्रह उनके व्यक्तित्व के कथाकार, संपादक, पत्रकार, संगठनकर्ता, एक्टिविस्ट आदि विविध पक्षों को सामने लाने के साथ-साथ एक संवेदनशील व्यक्ति के मन की अंतरंग झलक भी उकेरता है।
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