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मेरे साक्षात्कार: राजेन्द्र यादव / Mere Saakshaatkar : Rajendra Yadav

300.00 255.00

ISBN : 978-81-7016-232-2
Edition: 2011
Pages: 264
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Rajendra Yadav

15 in stock

Category:

Description

मेरे साक्षात्कार: राजेन्द्र यादव
वरिष्ठ कथाकार और सजग साहित्यिक पत्रकार राजेन्द्र यादव का मानना है-‘समीक्षा की तरह इंटरव्यू भी दो दिमागों की खुली मुठभेड़ है, चाहे दोनों के बीच दूरियाँ पीढ़ियों की हों, या संस्कारों और स्तरों की। इसके लिए जरूरी है एक तटस्थ श्रद्धा, निर्भीक इन्क्वायरी, सामने वाले का संपूर्ण अध्ययन और चुस्त सवालों की पूर्व तैयारी। अगर अपनी पूरी जानकारियों के साथ इंटरव्यूकार गुस्ताख होने की हद तक आक्रामक (शब्दों में चाहे जितना विनम्र) और चैकन्ना नहीं है तो शीघ्र ही सामने वाला हावी होकर उसे अपना प्रचारक बना लेता है। साहित्यिक या राजनीतिक पत्रकार का यह प्रोफेशनल प्रशिक्षण है कि वह अच्छा इंटरव्यूकार भी हो और सामने वाले से सत्य या श्रेष्ठ निकाल सके। उसकी तैयारी होनी चाहिए कि अपने ‘नायक’ को, उसकी अपनी ही रचनाओं, वक्तव्यों, समकालीनों के हवालों से उसके बड़बोलेपन या अंतर्विरोधों को उजागर कर सके, वर्ना सारी मेहनत गरुड़-काकभुशुंडि संवाद होकर रह जाती है। मुझे लगता है, इंटरव्यू वह आईना है, जिसमें आप अपने चेहरे की झुर्रियों, सलवटों, तिल और मस्सों को पहचानते हैं।
‘इंटरव्यू का एकमात्र गुण सार्थक, सहज और रोचक वार्तालाप है-वहां बिना भटके सामने वाले का सर्वश्रेष्ठ निकालना होता है-व्यक्ति के जाने कितने जाले और जटिलताएँ हैं, जिन्हें बेधकर हम उस तक पहुँचते हैं-यह पटाना भी है और पटकना या फटकना भी।’
(‘है कोई खरीदार…? भूमिका से)
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