Description
जितेन्द्र श्रीवास्तव का नया संग्रह ‘कायांतरण’ इस मायने में भी नया है कि यह उनके और वृहत्तर अर्थों में हिंदी के काव्य परिसर का सार्थक विस्तार करता है। इस संग्रह में जितेन्द्र की काव्य-संवेदना की मूल भूमि नए संदर्भों से आबाद होकर अर्थ-बहुल होती गई है। जीवन के छोटे-बड़े संदर्भों के प्रति एक जैसी गहरी आसक्ति इन कविताओं की ताकत है। स्मृति और विस्मृति के दबावों के बीच हमारी आंतरिकता के निरंतर क्षरण पर ब्याकुल-सी दिखती इन कविताओं का रहस्य यह है कि इनकी आलोचकीय अथवा आक्रोशी वैचारिकताएं इन्हीं व्याकुलताओं के नीचे सक्रिय रहती हैं।