Description
आज रचना की हैसियत तोप के बगल में रखी छोटी पेंसिल जैसी ही लगती है, क्योंकि वह युद्ध नहीं है। लाखों लोग सुनामी की चपेट में आकर बेघरबार हो गए, लेकिन उनकी मदद के लिए लाखों हाथ भी आगे आ गए। प्रकृति की मार झेलने के लिए हम सब साथ हें तो व्यवस्था की मार के लिए क्यों नहीं?
-भूमिका से
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