आज रचना की हैसियत तोप के बगल में रखी छोटी पेंसिल जैसी ही लगती है, क्योंकि वह युद्ध नहीं है। लाखों लोग सुनामी की चपेट में आकर बेघरबार हो गए, लेकिन उनकी मदद के लिए लाखों हाथ भी आगे आ गए। प्रकृति की मार झेलने के लिए हम सब साथ हें तो व्यवस्था की मार के लिए क्यों नहीं?
-भूमिका से
Sale!
Kathasamay : Srijan Aur Vimarsh
₹245.00 ₹208.25
ISBN: 978-81-907221-1-7
Edition: 2008
Pages: 192
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Shashikala Roy
Category: Articles
Related products
- Buy now
- Buy now
-
Sale!
Out of stock
- Buy now