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Gyarah Shreshtha Kahaniyan

200.00 170.00

ISBN : 978-81-88466-00-9
Edition: 2013
Pages: 116
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Bhagwati Sharan Mishr

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Category:
ग्यारह श्रेष्ट कहानियां
हिंदी कहानी ने अपनी यात्रा में अनेक सुगम और दुर्गम मार्ग तय किए हैं । वैदिक साहित्य की आख्यायिकाओं तथा ब्राह्मण ग्रंथों में आए अनेक आख्यान हमारी कहानी-परंपरा के आदि स्रोत रहे हैं । सर्जना की सर्वथा लोकप्रिय विधा रहने के कारण कहानी, लेखकों की लेखनी की लाडली विधा भी बनी रही और संभवत: इसीलिए कहानी के अलंकरण और उपयोग निरंतर विकासमान रहे । प्रेमचंद और प्रसाद ने हिंदी कहानी को जिस श्रेष्ठ लोकहित में मर्यादित और निर्धारित किया, उसकी अनुगूँजें आज भी हिंदी के युवा कथाकारों की रचनाओं में प्रवहमान है ।
जनप्रियता के कारण हिंदी कहानी की गति को खूब-खूब  उतार-चढाव भी देखने पड़े तथा कथा-आंदोलनों के शोर में विशिष्ट कहानियों के प्रभामंडल का पहचान पाना तक एक मुश्किल कार्य हो गया । कहीं अनुभूत यथार्थ के चित्रण  का शोर, तो यहीं कल्पनावृत्ति को तिलांजलि देने की जिद । ऐसे में कहानी की रचनाशीलता को समग्रता में हानि पहुंची। मगर इस गुलगपाड़े के बीच जो अच्छी कहानियाँ लिखी गई, वे ही अंतत: हमारी कथा-धरोहर भी बनती गई हैं।
प्रस्तुत संकलन से संपादकद्वय ने हिंदी की ऐसी श्रेष्ठ कहानियों को प्रस्तुत किया है जो अपने पाठ के माध्यम से हमें लौकिक बनाती हैं तथा हमारे सामाजिक संज्ञान और सरोकारों को, समय की कसौटी पर कुशलता से स्थापित और उद्वेलित करती हैं। व्यक्ति भले ही न रहे, मगर पात्र का चित्रण उस व्यक्ति का शाश्चता सौंप सके-ऐसी क्षमता जिन कहानियों में समाहित है-उन्हें ही प्रस्तुत संग्रह में संकलित किया गया है । प्रेमचंद, जयशंकर पसार तथा विष्णु प्रभाकर आदि वरिष्ट कथाकारों की कालजयी कहानियों के साथ-साथ, अन्य सुप्रतिष्ठित कहानीकारों की कहानियाँ भी पाठक एवं साहित्य के छात्र इस एक ही जिल्द से पढ़कर लाभान्वित होंगे, इसी आशमा और अपेक्षा के साथ यह संग्रह आपको सौंपा जा रहा है ।
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