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गीतांजलि : रवीन्द्रनाथ ठाकुर / Gitanjali : Rabindranath Thakur

350.00 297.50

ISBN: 978-81-7016-755-6
Edition: 2020
Pages: 196
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Rabindranath Thakur

Category:

विश्व-साहित्य के विशिष्ट सर्जकों में शीर्षस्थ स्थान के अधिकारी रवीन्द्रनाथ ठाकुर (1861-1941 ई.) एक बहुआयामी, प्रतिभासंपन्न और युगद्रष्टा कवि थे। वे एक साथ महान् कवि, कथा-शिल्पी, साधक, चिंतक, गायक, चित्रकार, अध्यापक और राष्ट्रचेता समाज-सुधारक थे। प्राचीन और नवीन के समन्वयक, अनन्य प्रकृति-प्रेमी और भारतीय शिक्षा-पद्धति के उन्नायक कविगुरु रवीन्द्रनाथ भारतीय साहित्य, साधना, मानव-स्वातंत्रय के साथ विश्व-मंच पर भारतीय संस्कृति के प्रवक्ता और प्रतिनिधि हस्ताक्षर थे। विश्वभारती, शांतिनिकेतन के निर्माण द्वारा इस ऋषि मनीषा ने-‘यत्र विश्व भवत्येक नीड्म्’ जहां सारा विश्व एक हो जाए-विश्व को अनुपम उपहार प्रदान किया। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में श्रेष्ठ कृतियों का प्रणयन करते हुए उन्होंने गीतांजलि जैसी महानतम कृति की रचना 1910 ई. में की। इस वरेण्य कृति के लिए वर्ष 1913 मंे नोबेल पुरस्कार प्राप्त रवीन्द्रनाथ ठाकुर पहले एशियाई थे, जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ।
रवीन्द्रनाथ की कृतियां-बाड्ला से हिन्दी अनुवाद करने वालों के जिए चुनौती भी रही हैं। और संभवतः ऐसे अनुवादकों की दक्षता की कठिन परीक्षा भी। बेहद सहज, सरल,ख् गेय, लयात्मक और छोटे पदबंधों और छंदों में विन्यस्त ये गान पिछले सौ वर्षों से बंगाल या भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में अपनी प्रसिद्धि के प्रतिमान बने हुए हैं। और बात जब गीतांजलि की हो तो अधिकांश रवीन्द्रनाथ साहित्य प्रेमी और आलोचक भी मानते हैं कि यह कवि रवि की काव्य-मनीषा के उत्कर्ष का सर्वोत्तम निर्दशन है।
रवीन्द्रनाथ के पाठकों के लिए अपरिहार्य कृति।

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