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कवि ने कहा: कत्यानी / Kavi Ne Kaha : Katyani

190.00 161.50

ISBN :978-93-81467-19-0
Edition: 2012
Pages: 124
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Katyani

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Category:

मेरे लिए, कविता सर्वोपरि तीर पर, बुनियादी तौर पर बिम्बों का एक पूरा संसार है, उनका विधान है।
हमें कविता का कच्चा माल लाना होता है-दो खदानों से-स्मृतियों और कल्पना की खदानों से।
सवाल यह उठता है कि वहाँ तक पहुँचें कैसे? इसके लिए उस खौलते हुए तरल धातु की नदी में उतरना होता है जो हमारे आसपास की जिंदगी है-अपूर्ण कामनाओं-लालसाओं, विद्रोहों, हारों-जीतों, कामयाबियों-नाकाम-याबियों से भरी हुई, कोमल-कठोर, सुन्दर-सुन्दर के द्वन्द्वात्मक संघातों से उत्तप्त, गतिमान। हम इस नदी में उतरते हैं, वे ठोस नहीं होतीं। वे ऊर्जा जैसी होती हैं। उन्हें हम बिम्बों में रूपान्तरित करके कविता में उतारते हैं तो वे ठोस, वस्तुगत यथार्थ बन जाती हैं। यह ऊर्जा को पदार्थ में बदलने का कविता का अपना भौतिकशास्त्रीय विधान है, जिसे सिर्फ सच्चे कवि ही समझते हैं।

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