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Bhartiya Naari Aur Pashchimikaran

300.00 255.00

ISBN: 978-81-89982-95-9
Edition: 2013
Pages: 168
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Shanti Kumar Sayal

Category:
भारतीय नारी और पश्चिमीकरण
पश्चिम की उपभोक्तावादी संस्कृति और सभ्यता के दुष्प्रभाव ने भारतीय समाज में नारी समाज के यथार्थ को बदल दिया है। पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित नारी स्वयं वंदनीय न मानकर स्वयं को पुरुषों के समान बनने के लिए आंदोलनरत है। सदियों से पीडित नारी का सब्र का बांध टूट गया है। प्राचीन परंपराओं की पकड़ से बाहर आ गई है। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही है। आज की शिक्षित नारी अत्याचार के विरोध में बलपूर्वक खड़ी हो रही है। आधुनिक माहौल में तमाम लड़कियां घर की देहरी लांघकर स्वावलंबी हो रही है । आधुनिक भारतीय नारी अन्याय और अत्याचार को चुपचाप नहीं सहती, बल्कि उसका प्रतिकार कर समाज  में अपने लिए अलग जगह बनाती है। आज की नारी स्वतंत्रता चाहती है। वह पुरुष की अधीनता में रहना नहीं चाहती। वह पुरे प्राणवेग के साथ जाग उठी है।
पश्चिमीकरण से नारी की दुनिया बदल रही है । उसके सपने, उसकी इच्छाएं, आकाक्षाएं, उसके जीने और सोचने का ढंग बदल रहा है। वह अब जानने लगी है कि अपने सपनों को कैसे पूरा किया जा सकता है । अब वह अपनी तरह अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। वर्तमान युग में शिक्षित एवं अशिक्षित नारियां अकेलेपन की शिकार होने लगी हैं। यह समस्या आधुनिक युग की देन है। नारी घर की चारदीवारी को लांघकर पुरुषों से बराबरी करने, नौकरी करने निकली है किन्तु वह अपनी लज्जा, संस्कृति, सदाचारिता को पीछे छोड़ आई है। इस नारी स्वतंत्रयुग की नारियां पश्चिमी दौड़ में दौड़ती हुई, अपनी संस्कृति की मान-मर्यादा को पीछे छोड़ती हुई कहीं अंधकारमय युग में खो न जाएं… ।
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