ऋग्वेद भारतीय संस्कृति, धर्म और सभ्यता, प्रकारान्तर से कहें तो हिन्दू संस्कृति, धर्म और दर्शन की पीठिका है। भारत आर्यों की मूलभूमि है, इस सत्य को झुठलाने की बहुत कोशिशें होती रही हैं। ‘आर्य, ऋग्वेद और भारतीय सभ्यता’ में ऋग्वेद के हर अंग की विस्तृत मीमांसा की गई है। ऋग्वेद विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ है। प्राचीनतम होते हुए भी इसकी सर्वांगीण पूर्णता और हर दृष्टि से सर्वोत्तमता को देखते हुए ऋग्वेद को अपौरुषेय भी माना जाता रहा है। अपौरुषेय मानने के पीछे धार्मिक कारण भी रहा हो सकता है। जो भी हो पर इसे मानवी मेधा की ही रचना कहना ठीक होगा।
प्रस्तुत पुस्तक में ऋग्वेदिक संस्कृति और सभ्यता के नैरन्तर्य को दिखाया गया है। भारतीय समाज के ताने-बाने का जो ढाँचा आज है, वह ऋग्वेद से लेकर सिन्धु-सरस्वती सभ्यता से होता हुआ वर्तमान काल तक आया है। चाहे वह पारिवारिक और सामाजिक जीवन को दर्शाने वाला रूप हो या धार्मिक आस्था और विश्वास की मान्यता हो, या दार्शनिक चिन्तन-मनन की परम्परा हो, उन सभी के मूल में ऋग्वेद ही है।
ऋग्वेद आर्यों के महान् और विलक्षण सांस्कृतिक ऋक्थ का प्राचीनतम और सर्वाधिक प्रामाणिक ग्रन्थ है। वह न केवल हिन्दू दर्शन, धर्म और पारिवारिक, सामाजिक तथा शासकीय व्यवस्था को दर्शाने वाला आदि ग्रन्थ है बल्कि विश्व के प्राचीनतम और उत्कृष्टतम काव्य का गान भी है।
Sale!
Arya, Rigved Aur Bhartiya Sabhyata
₹1,500.00 ₹1,100.00
ISBN: 978-93-85054-23-5
Edition: 2023
Pages: 640
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Kripa Shankar Singh
Category: History
Related products
-
Sale!
Out of stock
- Buy now
- Buy now
- Buy now