Description
पत्रें में एक ऊष्मा होती है जो उनके पढ़ने वालों को प्रभावित करती है। संभवतः इसका एक कारण यह है कि पत्रें में लिखने वालों की तुरत-प्रतिक्रिया दर्ज होती है। जैसा दिन ने महसूस किया, पत्रें में वैसा ही लिखा गया। इसके अलावा पत्रें में लिखने वालों की निजी जिंदगी की बहुत-सी बातें आ जाती हैं जिनसे उनके व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है। ऐसी जानकारी अन्यत्र उपलब्ध नहीं होती। इसीलिए पत्र कितने भी पुराने हो जाएँ, एनकी ताजगी और पठनीयता बनी रहती है। और अगर पत्र-लेखक कलाकार हो तो फिर कहना ही क्या। कलाकार अपने समय की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर नजर तो रखता ही है, उन पर टिप्पणियाँ भी करता चलता है। कलाकारों में भी अगर यह अमृतलाल नागर और रामविलास शर्मा हों तो समझिए सोने पर सुहागा। अलग-अलग विधाओं के यह दोनों मारथी कलाकार, साथ होने पर जुगलबंदी का समाँ पेदा करते थे। इसलिए इन दोनों के पत्रें का संग्रह तो होना ही था।
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