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पहाड़नामा/PAHADNAMA

375.00 337.50

ISBN: 978-93-93486-74-5
Edition: 2023
Pages: 184
Language: Hindi
Format: Hardback

Author :Anita Sabharwal

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Category:

Description

‘माटूहमरु, पाणी हमरु,
हमरा ही छन भिबौणभि…
पितरों ने लगाई बौण,
हमुन ही तो बचौणभि…’
(मिट्टी हमारी, पानी हमारा, हमारे हैं ये जंगल। हमारे पूर्वजों ने इन जंगलों को पोसा, अब हमें ही इनकी रक्षा करनी है)

…अब मुद्दा यही है कि बांध जरूरी है या नहीं?
–यह कुदरत की अवहेलना या अनादर है?
या मानव के जीवन के विकास की एक प्रक्रिया और आवश्यकता?
–क्या हम पहाड़ खत्म करके किसी अनिष्ट को न्योता दे रहे हैं?
–डूबे हुए गांवों पर झील बनाकर वहां नाव चलाना क्या हमारी आंखों में आंसू नहीं ले आता?
–सालों पुराने पेड़ों का कत्ल कर देना कहां की मानवीयता है?
–क्या सच में कुछ लोग बिना अनुदान के रह जाते हैं?
–क्या हम इन लोगों पर अत्याचार करते हैं?
–क्या बड़े बांध बनाना ही जरूरी है?
–रन ऑफ रिवर से परहेज क्यों?
सबसे अहम सवाल–क्या विकास सच में हमें तोड़ देता है?
–इसी उपन्यास से

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