अदन बागवाला जानता था कि आदम और हव्वा अभी नादान हैं, फितरी सतह पर खेलते-खेलते और जीते हैं…अभी उनकी सूक्ष्म काया अंबर की हवाओं में विचरने के लिए नहीं है, अभी अदन बाग के सुख उन्हें माथे के चिंतन का कफस नहीं लगते।
वे मदहोश हैं और उस फल से मिलनेवाली होशमंदी को वे झेल नहीं पाएँगे…
अदन बाग एक बच्चे को मिली हिफाजत का नाम है और बाद में हर समाज एक जतन बन गया कि वह हिफाजत इंसान को पूरी हयाती मिलती रहे, हर इंसान बाल-बुद्ध होकर उस बनी-बनाई बनतर को कुबूल कर उसकी छत्रछाया में रहे।
-अमृता प्रीतम
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वर्जित बाग की गाथा / Varjit Baag ki Gaatha
₹240.00 ₹204.00
ISBN: 978-81-7016-579-8
Edition: 2018
Pages: 164
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Amrita Pritam
Out of stock
Category: Stories
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