सर्चा यह है कि कविता और राजनीति साथ-साथ नहीं चल सकतीं। ऐसी राजनीति, जिसमें प्रायः प्रतिदिन भाषण देना जरूरी है और भाषण भी ऐसा जो श्रोताओं को प्रभावित कर सके, तो फिर कविता की एकान्त साधना के लिए समय और वातावरण ही कहां मिल पाता है। मैंने जो थोड़ी-सी कविताएं लिखी हैं, वे परिस्थिति-सापेक्ष हैं और आसपास की दुनिया को प्रतिबिम्बित करती हैं।
अपने कवि के प्रति ईमानदार रहने के लिए मुझे काफी कीमत चुकानी पड़ी है, किंतु कवि और राजनीतिक कार्यकर्ता के बीच मेल बिठाने का मैं निरन्तर प्रयास करता रहा हूं। कभी-कभी इच्छा होती है कि सब कुछ छोड़-छाड़कर कहीं एकान्त में पढ़ने, लिखने और चिन्तन करने में अपने को खो दूं, किंतु ऐसा नहीं कर पाया।
मैं यह भी जानता हूं कि मेरे पाठक मेरी कविता के प्रेमी इसलिए हैं कि वे इस बात से खुश है कि मैं राजनीति के रेगिस्तान मे रहते हुए भी, अपने हृदय में छोटी-सी स्नेह-सलिला बहाए रखता हूं।
-अटल बिहारी वाजपेयी
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ISBN: 978-93-83233-55-7
Edition: 2020
Pages: 104
Language: Hindi
Format: Paperback
Author : Atal Bihari Vajpayee
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