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Mere Chuninda Geet

550.00 440.00

ISBN: 978-81-88466-55-9
Edition: 2018
Pages: 243
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Bharat Bhushan

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Category:

Description

मेरे चुनिंदा गीत
एक अजीबोगरीब नई लहर इस युग में आई और हिंदी वालों ने गीत को कविता मानने से इनकार करके अपने आपको दरिद्र बना लिया। जो विधा जनमानस में रची-बसी है, उसको मिटा पाना चंद नादानों की सामर्थ्य नहीं है। गीत जिंदा था, गीत ज़िंदा है, गीत जिंदा रहेगा।
आज हम उस व्यक्ति की बात कर रहे हैं जिसका जन्म ही गीत के लिए हुआ और जो संवेदनशील सशरीर है। छोटे-से कद में कितना कद्दावर है और थोड़े-से गीतों का रचनाकार होकर वह कितना बड़ा गीतकार है, इस बात को शब्दों में अभिव्यक्त कर पाना उतना ही कठिन है जितना कि इस बात का अनुमान लगाना कि वह गीतकार से बड़ा इंसान है या इंसान से बड़ा गीतकार।
भारत भूषण के गीतों में एक भी पंक्ति ऐसी नहीं लगती कि सायास लिखी गई है। शब्दों का ऐसा ताज़ा प्रयोग उसके किसी भी समकालीन गीतकार की क्षमता नहीं है, उन प्रयोगों में दूध की गंध आती है। शारदा, उसकी हमनफस-औ’ हमनवा है, उसकी हमराज़ है, उसकी अर्द्धांगिनी है। गुलाब की गंध से उसका मस्तिष्क सुवासित रहता है।

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