Description
भूकम्पों का आना-जाना तो लगा ही रहेगा। हम उन्हें रोक नहीं सकते, परन्तु उनके आने की मात्रा में कमी हो, इसके लिए अपना योगदान अवश्य दे सकते हैं।
इस कार्य को सफल बनाने हेतु हमें प्राकृतिक संसाधनों का मात्रा से अधिक उपयोग, या यूं कहंे कि दुरुपयोग रोकना होगा। पृथ्वी पर हमारी मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी करने की पूर्ण क्षमता है, परन्तु हमारे लालच की पूर्ति करने की क्षमता इसमें नहीं है।
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