भूकम्पों का आना-जाना तो लगा ही रहेगा। हम उन्हें रोक नहीं सकते, परन्तु उनके आने की मात्रा में कमी हो, इसके लिए अपना योगदान अवश्य दे सकते हैं।
इस कार्य को सफल बनाने हेतु हमें प्राकृतिक संसाधनों का मात्रा से अधिक उपयोग, या यूं कहंे कि दुरुपयोग रोकना होगा। पृथ्वी पर हमारी मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी करने की पूर्ण क्षमता है, परन्तु हमारे लालच की पूर्ति करने की क्षमता इसमें नहीं है।
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धरती काँपती क्यों है? / Dharti Kaanpati Kyo Hai
₹70.00 ₹59.50
ISBN: 978-81-88125-38-8
Edition: 2013
Pages: 88
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Jagat Ram Arya
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