हिंदी व्यंग्य की धाार्मिक पुस्तक: हरिशंकर परसाई

इंस्पेक्टर मातादीन चहुंओर समाया : नरेन्द्र कोहली परसाई जी की रचनाएं मैंने ‘धर्मयुग’ में अपने उस वय में पढ़नी आरंभ की थी, जब न तो साहित्य की उतनी समझ थी और न ही जीवन का अनुभव। मैं स्वभाव से पाठक था, इसलिए पढ़ता था। जिस रचना में रस मिलता था, उसे पढ़ जाता था। पढ़ते-पढ़ते […]

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