Description
मैं इस बात को पूरी तरह से खारिज करता हूं कि विज्ञान कथाएं भविष्य की कथाएं हैं। हां, विज्ञान के भावी खतरों की इंगितियां तो विज्ञान कथाओं में की जा सकती हैं, वैज्ञानिक जीवन के सामाजिक सरोकार, नैतिक दायित्व भी विज्ञान कथाओं के प्रतिपाद्य हो सकते हैं, विज्ञानियों के मन के आवर्त-विवर्त भी कथाओं की भावभूमि बन सकते हैं, लेकिन विज्ञान कथाकार को भविष्यद्रष्टा के सिंहासन पर आरूढ़ करना भारी भूल होगी, अतः समय आ गया है कि विज्ञान कथाओं को पुनः परिभाषित किया जाए।
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