Description
औरत ने जन्म दिया मरदों को, मरदों ने उसे बाजार दिया। यहां बाजार का अर्थ सीमित था यानी वेश्या का कोठा। पर अब बाजार का अर्थ विस्तार पा गया है यानी उपभोक्ता-बाजार में स्त्री या स्त्री का बाजार-मूल्य। बदले समय में स्त्री अपनी भूमिका तलाशती कहां आ पहुंची है? ‘ग्लैमर’ के इस बाजार में खड़ी आज की स्त्री ने क्या पाया, क्या खोया-इसकी जाँच-पड़ताल करनी होगी।
-इसी पुस्तक से
Reviews
There are no reviews yet.