Description
सिख हो या कोई और जन्म व मृत्यु का पथ समान है। एक ही गगन है, एक ही धरा है। ऋतुएं वही हैं, दिवस-रात वही हैं। दृष्टि मनुष्य को धारण करनी होती है। जिसने जीवन को समझ लिया उसकी गति हो गई। सिख गुरु साहिबान ने सिखों के लिये कड़ी जीवन मर्यादाएं निर्धारित की थीं क्योंकि माया, विकारों से भरे संसार में सच को जानना और आत्मसात करना सबसे कठिन तप जैसा था। सिख वह जो रात के तीसरे पहर ही जाग कर स्नान आदि के बाद परमात्मा का नाम जपता हो, गुरुवाणी का गायन करता हो, सत्संग कर दिन भर ईमानदार श्रम करता हो, जिसका अल्प आहार, अल्प निद्रा हो जिसमें क्षमाशीलता, दया और प्रेम भावना हो उसे धर्म मार्ग से विचलित करना संभव न हो। ऐसा ही होता है सच्चा सिख। ऐसा ही होता है आदर्श मनुष्य। आदर्श मनुष्य होना ही एक सच्चा सिख होना है। जैतो मोर्चा ऐसे ही सिख चरित्र की पुष्टि करता है।
जैतो मोर्चे की सफलता जहां अंग्रेजों की करारी हार थी वहीं भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को भी इससे दिशा तय करने में सहायता मिली।
आज का जीवन नित्य विषम होता जा रहा है। सुख व संतोष के लिए वैसा ही आत्मबल समय की आवश्यकता बन गया है जो जैतो मोर्चे में प्रकट हुआ था। इस पुस्तक में उन प्रेरक तत्वों को उभारने का प्रयास किया गया है।