Description
इस पुस्तक में विज्ञापन से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण बातों को आम आदमी की भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इसलिए हो सकता है कि इसमें कुछ शब्द सीधे अंग्रेजी के भी मिल जाएं। मसलन आप कह सकते हैं कि ‘उत्पाद’ को ‘प्रोडक्ट’ क्यों लिखा गया? उसकी वजह यह है कि हिंदी के कई शब्द आज भी वैसी संप्रेषणीयता नहीं रखते जैसी अंग्रेजी के शब्दों में होती है। डिजिटल दौर में हमें वही भाषा अपनानी चाहिए जो नई पीढ़ी समझ सके इसलिए ऐसे अनेक शब्द हैं जिन्हें अंग्रेजी में ही देने का काम किया है। विज्ञापन जगत में आने वाले एक नए जिज्ञासु के मन में स्वाभाविक प्रश्न यह आता है कि विज्ञापन कॉपी को कैसे आकर्षक बनाया जाए? उसकी थीम कैसे तैयार की जाती है? अपने अंदर की रचनात्मकता को कैसे जाग्रत किया जाए? विज्ञापन के नामचीन विशेषज्ञों ने आखिर कैसे इतने अनूठे विज्ञापनों की रचना की? कैसे कोई प्रोडक्ट या कंपनी कुछ समय में ही ब्रांड में बदल जाती है? ऐसे न जाने कितने सवाल हमारे मन में आते हैं, जो शायद आपके मन में भी आए होंगे। इन्हीं सब सवालों का जवाब खोजते-खोजते में विज्ञापन की दुनिया में ऐसा डूबा कि पुस्तक की सामग्री तैयार हो गई।