शताब्दी की कालजयी कहानियाँ
हिंदी कहानी के बारे में बात शुरू करने से पहले एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पक्ष को रेखांकित करना ज़रूरी है। वह है कहानी की जड़ों की तलाश। इधर कविता के ‘रिफ्रेंस पाॅइंट्स’ कुछ ऐसे और इतने बदले हैं कि उसके अनुभव-संदर्भों को आत्मसात् करना कठिन हो गया है। यह कविता की वैश्विक दृष्टि का विस्तार नहीं, जिसका हमें स्वागत करना चाहिए, बल्कि यह हिंदी कविता के अनुगामी अनुभव का सीमित संसार है, जिसने कविता को अमरबेल बना दिया है, जो बिना जड़ों के पनपती है।
इसी संदर्भ में यह रेखांकित करना ज़रूरी लगता है कि कहानी ने अपनी जड़ों से रिश्ता नहीं तोड़ा है। यह धारणा भी मिथ्या है कि भारतीय भाषाओं में कहानी का उद्भव अंग्रेज़ी ‘शाॅर्ट स्टोरी’ की तर्ज़ और तरह पर हुआ है। इस भ्रम का निराकरण ज़रूरी है। हिंदी की पहली कहानी ‘टोकरी भर मिट्टी’ ही इस सत्य का प्रमाण है कि वह नितांत भारतीय कथा के तत्त्व और मूल चेतना की कहानी है। हिंदी कहानी अपनी बहुआयामी प्रयोगधर्मिता के बावजूद आज भी अपनी नितांत देशज भूमि और मूल्य-चेतना पर केंद्रित है। कहानी ने अपने मुश्किल समय और बहुआयामी यथार्थ का परित्याग नहीं किया है, उसके सारे संदर्भ आज भी नितांत भारतीय और देशज हैं।
बीसवीं सदी की कहानी की इसी पहचान को रेखांकित करने की ज़रूरत महसूस हो रही थी कि पूरी सदी की महत्त्वपूर्ण और चर्चित कहानियों को एक जगह प्रस्तुत किया जाए। उसी ज़रूरत और पहचान को पेश करने का परिणाम है यह संकलन।