Description
राजेन्द्र यादव ने ज्योति कुमारी को बताए स्वस्थ व्यक्ति के बीमार विचाऱ
लेखक के अनुसार यह पुस्तक इस अर्थ में विलक्षण से कि न तो यह आत्मकथा है, न आत्मवृत्त और न ही संस्मरणों का संकलन । तीन महीने बिस्तर पर निष्क्रिय पड़े रहने के दौरान जो कुछ उल-जलूल असंबद्ध तरीके से दिमाग में आता गया उसे ही कागज पर उतारने की कोशिश है । कोई भूला हुआ क्षण, गूंजता हुआ अनुभव या संपर्क में आए किसी का व्यक्तित्व । अंग्रेजी में ऐसे लेखन को रैम्बलिंग कहते हैं । हिंदी में शायद इसे भटकाव कहेंगे । बिना किसी सूत्र का सहारा लिए जहाँ मन हुआ वहां टहल आना । इस तरह की किसी और किताब का ध्यान सहसा नहीं आता । सब कुछ जो लिखा गया है बहुत तार्किक, सुसंबद्ध और विचारपक्व है । ‘स्वस्थ व्यक्ति के बीमार विचार’ पुस्तक इस श्रेणी में कहीं नहीं जाती मगर शायद बेहद पठनीय, रिवीलिंग और राजेन्द्र यादव के लेखन में बहुत महत्त्वपूर्ण कहीं के रूप में याद की जाएगी ।
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