बुक्स हिंदी 

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Nij Path Ka Avichal Panthi

950.00 807.50

ISBN: 978-93-89663-17-4
Edition: 2021
Pages: 424
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Shanta Kumar

Category:
…..ग्रामीण विकास मंत्रालय भी बहुत महत्त्वपूर्ण था। मैंने अतिशीघ्र विभाग को समझा, प्रमुख अधिकारियों से परिचय किया और काम में लग गया। कुछ दिन के बाद ही तमिलनाडु के दो सांसद मुझसे मिलने आए। उन्होंने कहा कि वे एक बहुत गंभीर विषय पर मुझसे इसलिए बात करने आए हैं कि उन्हें यह विभाग संभालने के बाद मुझसे न्याय की आशा है। उनकी बातें सुनता रहा और हैरान-परेशान होता रहा। जैसे खाद्य मंत्री बनने के एकदम बाद एक व्यक्ति नोटों का बंडल लेकर आ पहुंचा था। वैसे ही इनकी बातें भी बहुत चिताजनक थीं। उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आंध्र प्रदेश को 90 करोड़ रुपए स्वीकार किए गए थे, परंतु मंत्रालय से जब पत्र जारी हुआ तो 90 करोड़ का 190 करोड़ कर दिया गया। उन्होंने मंत्री से शिकायत की और कई जगह कहा परंतु किसी ने सुनी नहीं। वे कहने लगे, तीन वर्ष से आंध्र प्रदेश को प्रतिवर्ष 100 करोड़ अधिक जा रहा है। उन्होंने लोकसभा में प्रश्न किया परंतु वह प्रश्न लगा ही नहीं। उनका आरोप था कि लगने ही नहीं दिया। उनके आरोप पर मुझे बिलकुल विश्वास नहीं हुआ। मैंने थोड़ा गुस्से से कहा, ‘‘देखिए यह भारत सरकार का मंत्रालय है, किसी लाला की दुकान नहीं है। जहां 90 के बाईं तरफ एक लगाकर 190 कर दिया जाए। मेरे यह कहने के बाद भी वे बड़े विश्वास से अपना आरोप लगाते रहे। मैंने उन्हें जांच का आश्वासन दिया। वे जाते हुए कहने लगे, उन्होंने मेरे संबंध में बहुत कुछ सुना है। उन्हें भरोसा है कि अब न्याय मिलेगा। कुछ दिन के बाद उन्हाेंने सदन में यह प्रश्न उठाने की बात की।
मैंने अधिकारी बुलाए। फाइलें देखीं—सारी बात का पता लगने पर मैं हैरान ही नहीं हुआ बहुत अधिक चिंतित हो गया। मैं पूरा दिन फाइलें देखने में लगा रहा। एक मंत्रालय से जानकारी प्राप्त की। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में अंतिम बैठक हुई थी। उसमें सभी प्रदेशों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए राशि तय की गई थी। सूची में सबसे ऊपर आंध्र प्रदेश का नाम था और उसके आगे 90 करोड़ लिखा गया था। बाद में योजना आयोग की फाइल में भी 90 करोड़ था। मंत्रालय से जब धन भेजा गया तो 190 करोड़ भेजा गया। मेरे पूछने पर अधिकारियों ने बताया कि यह राशि कब किस स्तर पर बदली गई, उन्हें कुछ पता नहीं। विभाग के पुराने सचिव बदल चुके थे। मैं दो दिन सारे विषय पर सोचता रहा। कुछ विश्वस्त अधिकारियों से अकेले में बात की। मैंने मंत्रालय के अधिकारियों को बिठाकर पूछा यदि लोकसभा में यह पूछा गया कि 90 करोड़ की राशि हमारे मंत्रालय से भेजते समय 190 करोड़ कैसे कर दी गई तो इस प्रश्न का लोकसभा में मैं क्या उत्तर दूंगा। अधिकारी चुप रहे। मेरी चिंता बहुत बढ़ गई।…..
-इसी पुस्तक से।
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