Description
प्लाॅट का मोर्चा
यह पुस्तक हिंदी के प्रसिद्ध कवि शमशेर बहादुर सिंह की गद्य-रचनाओं का संकलन है। इसमें शमशेर जी के समय-समय पर लिखे निबंध, कहानियाँ, डायरियाँ और अनुवाद संगृहीत हैं। शमशेर बहादुर सिंह का गद्य हिंदी के किसी भी अन्य श्रेष्ठ गद्यकार के साथ रखा जा सकता है। उनके गद्य में निराला के गद्य का-सा अटपटापन है और निर्मल वर्मा के गद्य की-सी उजास। यह सोचता हुआ, सृजनकर्ता हुआ और इन दोनों पर सजग निगाह रखता हुआ गद्य है।
इस गद्य-संग्रह में शमशेर जी की कुछ उत्कृष्ट कहानियाँ भी पढ़ी जा सकेंगी। इन कहानियों की कोई स्पष्ट परंपरा हिंदी में नहीं बन सकी। इसका सिर्फ एक अपवाद हिंदी के उत्कृष्ट पर अपेक्षाकृत कम चर्चित कवि जितेन्द्र कुमार की कहानियाँ हैं।
इस संकलन में शमशेर जी के युग का विचारधाराओं के प्रति विश्वास का भोलापन भी है और शमशेर जी की कलम का पैनापन भी। ये निबंध पाँचवें और छठे दशकों के बौद्धिक भोलेपन का अनूठा दस्तावेज है। इन्हें पढ़कर हम उन रास्तों को देख पाएँगे, जो हमने स्वतंत्राता-प्राप्ति के बाद अपने भोलेपन में लिए थे। और जिन पर आज गहराई से विचार करने की आवश्यकता हम सब महसूस करते हैं।