Description
वसंत सकरगाए अनुभव के साथ-साथ स्मृतियों से भी काम लेते हैं, जो कई बार अनुभवजन्य होती हैं तो कई बार बुद्धिनिर्मित। लेकिन हर बार उसे कला में ढालने की चुनौतियां एक जैसी होती है। कविता में उन्हें इन चुनौतियों से जूझते देखना एक सुखद अनुभव है।
वरिष्ठ कवि राजेश जोशी पर तीन खंडों में एक बहुत ही अच्छी और अलग तरह की कविता है। कवि ने ठीक ही इसे शब्दचित्र कहा है। वसंत उनके व्यक्तित्व की सहजता में उनकी कविता की उदात्तता का तलाशते हैं। और उसके साध ही अपनी काव्य परंपरा से जुड़ने की उनकी तलाश भी पूरी होती है। समय, समाज और संस्कृति को देखने परखने के उनके दृष्टिकोण के विकास को समझने का सूत्र भी यहीं से मिलता है।
इस संग्रह की कविताओं के आधार पर कहा जा सकता है कि कवि ने ऊँची उड़ान नहीं भरी है बल्कि अपनी जमीन पर टिककर पूरा आसमान देखा है।
-मदन कश्यप