श्री अरविंद घोष का नाम लेते ही एक योगी के साथ-साथ कवि, लेखक, दार्शनिक और प्रखर क्रांतिकारी का चित्र उभरता है। पिता जाने-माने डॉक्टर थे। वे अरविंद को अच्छी और उच्च शिक्षा दिलाकर किसी अच्छे पद पर देखना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने 7 वर्ष की अल्पायु में ही अरविंद को इंग्लैंड भेज दिया था। विदेश प्रवास के दौरान अरविंद ने लगन के साथ ज्ञानार्जन किया और अंग्रेजी के साथ-साथ जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक और इटैलियन भाषा में महारत हासिल की। अन्य भाषाओं में लेख लिखने के लिए आपको सम्मानित किया गया। मात्र 18 वर्ष की आयु में आप आई-सी-एस- की परीक्षा में सफल हो गए थे। देशप्रेम से ओत-प्रोत मन में स्वतंत्रता की हूक उठ रही थी, इसलिए आई.सी.एस. की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद भी आपने घुड़सवारी की परीक्षा देने से मना कर दिया।
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Nirjan Karawas
₹300.00 ₹255.00
ISBN : 978-93-89663-59-4
Edition: 2024
Pages: 106
Language: Hindi
Format: Hardcover
Author : Jayvardhan
Category: Plays