स्वतंत्रता के बाद हिंदी नाटक के इतिहास में कुसुम कुमार एक अत्यंत प्रतिष्ठित रचनाकार हैं। इनके नाटक सुविधाजनक रचनाकर्म नहीं, निरंतर संघर्ष, संताप आदि प्रयोगों का परिणाम हैं। इनमें महज स्त्री-स्वर ही मुखर नहीं हुआ बल्कि अपने समय, समाज और परिवेश के अनिवार्य प्रसंगों से बराबर जूझते नजर आते हैं।
समग्र नाटक में संकलित कुसुम कुमार के आठों नाटक समय-समय पर देश भर में चर्चित व प्रशंसित रहे हैं और अनुभवी निर्देशकों द्वारा बार-बार मंचित हुए हैं। ‘रावण-लीला’, ‘संस्कार को नमस्कार’, ‘दिल्ली ऊंचा सुनती है’, ‘सुनो शेफाली’ तथा ‘लश्कर चौक’ आदि ये सभी नाटक अपने साथ एक नवीन कथ्य और परिवेश की खोज करते हुए रचनात्मक परिणाम देते हैं।
कुसुम कुमार के नाटकों को श्रेष्ठतम नाटकों में गिना जाता है। इसीलिए इनका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद और मंचन हुआ है, जिससे इनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। ये नाटक सामाजिक सरोकारों की कथावस्तु को एक ऐसा ज्वलंत और साथ ही रोचक स्वरूप देते हैं जो दर्शकों को लगातार बांधे रखता है। मानवीय समस्याएं और मानव संबंधों की गहन पड़ताल भी इनके नाटकों की विशेषता है। इनका बहिरंग प्रायः कॉमेडी होते हुए भी, सरोकार बेहद मानवीय और संवेदनशील है। एक ओर यहां समाज में चला आ रहा नाटक के पीछे का नाटक बेनकाब होता है तो दूसरी ओर दमित वर्ग अपनी विशिष्ट पहचान के साथ मुखर होता है। यह कहना आवश्यक है कि इन नाटकों का स्वर और स्वरूप आधुनिक सोच की खुली भाषा और चुस्त संवादों में सहज ग्राह्य और दर्शकों के बीच प्रिय है।
डॉ- कुसुम कुमार के नाटकों का संकलन पाठकों की सुविधा के लिए एक जिल्द में पहली बार प्रकाशित हो रहा है। समग्र नाटक सभी सांस्कृतिक संस्थाओं, नाट्य मंडलियों, अकादमियों, पुस्तकालयों एवं शोधार्थियों के लिए एक संग्रहणीय पुस्तक।
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Samagra Natak : Kusum Kumar
₹1,200.00 ₹1,000.00
ISBN: 978-81-937326-7-0
Edition: 2018
Pages: 592
Language: Hindi
Format: Hardback
Author : Kusum Kumar
Category: Plays
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