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नीरज के प्रेमगीत / Neeraj Ke Prem Geet (PB)

140.00 126.00

ISBN: 978-81-7016-647-4
Edition: 2018
Pages: 116
Language: Hindi
Format: Paperback


Author : Gopal Das Neeraj

Category:
नीरज के प्रेमगीत
लड़खड़ाते हो उमर के पांव,
जब न कोई दे सफ़र में साथ,
बुझ गए हो राह के चिराग़
और सब तरफ़ हो काली रात,
तब जो चुनता है डगर के खार-वह प्यार है ।
प्यार में गुजर गया जो पल वह
पूरी एक सदी से कम नहीं है,
जो विदा के क्षण नयन से छलका
अश्रु वो नदी से कम नहीं है,
ताज से न यूँ लजाओ
आओं मेरे पास आओ
मांग भरूं फूलों से तुम्हारी
जितने पल हैं प्यार करो
हर तरह सिंगार करो,
जाने कब हो कूच की तैयारी !
कौन श्रृंगार पूरा यहाँ कर सका ?
सेज जो भी सजी सो अधूरी सजी,
हार जो भी गुँथा सो अधूरा गुँथा,
बीना जो भी बजी सो अधूरी बजी,
हम अधुरे, अधूरा हमारा सृजन,
पूर्ण तो एक बस प्रेम ही है यहाँ
काँच से ही न नज़रें मिलाती रहो,
बिंब का मूक प्रतिबिंब छल जाएगा ।
[इसी पुस्तक से ]
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